How constructive thinking constructing people's mindset !

शुरुआत से ही हमारी वर्तमान सरकार काफी constructive सोच लेकर चलती आ रही है चाहे फिर वो बड़ा स्टेच्यू हो या बड़ा स्टेडियम हो या नया संसद भवन या फिर सबसे जरूरी हमारे प्रधानमंत्री का नया आवास हो जो की करीबन 13.5 हजार करोड़ का है ।

लेकिन यह constuctive सोच आपको कभी भी स्कूलो, अस्पतालों, गार्डन, आदि में नही दिखेगी। आज के दिन तक हमारे सरकारी विद्यालयों में हमे सही से क्वालिटी एजुकेशन नही मिल पाता है, आज के दिन तक भारत में प्रति हजार लोगो के लिए सिर्फ आधा bed बिस्तर मिल पाता है।

कई बार हम गहराई से नही सोचते की आखिर इन सब से हमे मिल क्या रहा है। क्या हमारे घर के बच्चे इन बड़े स्टेडियम में खेलने जा रहे है या फिर इस देश का गरीब इंसान प्रधानमंत्री के लिए बन रहे महल में रहने जा रहा है। आखिर हमे क्या मिल रहा है ❓

वास्तव में इस निर्माण के अधिकांश कारण प्रदूषण, लोगों का पलायन, पेड़ों की कटाई होती हैवास्तव में इस निर्माण के अधिकांश कारण प्रदूषण, लोगों का पलायन, पेड़ों की कटाई होती है इन सबका सीधा असर हमारी जिंदगी पर पढ़ता है चाहे फिर वह महंगाई के रूप में ही क्यों न हो

शायद अगर आपको याद हो तो आपको पता होगा की स्टेच्यू आफ यूनिटी के निमार्ण मे कितने सारे लोगो को पलायन होना पढ़ा अपने घरों को खोना पड़ा।

तो हम लोगो को यह समझने की जरूरत है की यह हमारे पैसो की बर्बादी है हमारे देश के करदाता के पैसो की बर्बादी है और इन सबको देखने के बावजूद हम लोगो को कहते है देखो हमे देश में दुनिया की सबसे टैलेस्ट स्टेच्यू है, देखो हमारे देश की दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम है। उनकी तारीफ करने लगते है और जो कोई fact पर बात करने की कोशिश करता है उसे लोग कहते है तुझे अच्छा नही लग रहा की हमारे देश में यह सब बन रहा है ।

ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब कंस्ट्रक्शन हमारा दिमाग भी construct कर रहा है। और हम इन सब से परेह सोचते ही नही है।

फिर भी कुछ लोग इस पर employment रोजगार के नाम पर बहस करेंगे और कहेंगे "क्या तुम्हे नही लगता की यह निर्माण लोगो को रोजगार भी दे रहा है इस सब के लिए मेरा एक सरल उत्तर है की रोजगार देने के कई हजारों तरीके है जिनसे लोगो को रोजगार साथ ही साथ देश का वास्तविक रूप मे कल्याण होगा।

That's all for this time you can also read this in English 👇🏻

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Ꭺᴅɪᴛʏᴀ

I write and talk about politics self-growth and so may things. Like to debate anytime